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भीम के चार पुत्र थे- पद्म, साहण, साम (मं) त, और सूरा । पद्म का पुत्र धीधा और धीधा का पुत्र पूना ( पूनमचन्द्र ) था । साहण के पुत्र का नाम नहीं लिखा गया है; परन्तु उसके कडुना नामक पौत्र था । सूरा के सुहवनामा स्त्री थी । इनके प्रथिमसिंह और पाहणसिंह दो पुत्र हुए। पाल्हणसिंह की पाल्हणदेवी से लींब और दो पुत्र हुए थे । प्रथिमसिंह का परिवार विशाल था । उसके पांच पुत्र, लगभग डेढ़ दर्जन पौत्र - प्रपौत्र थे ।
प्रथिमसिंह की स्त्री का नाम प्रीमलदेवी था । प्रथिमसिंह अग्रणी वणिक था । उसकी स्त्री भी पुण्यशालिनी और प्रेम परायणा थी । इनके सोम, रत्नसिंह, साल्हा और डंगर नाम के पांच पुत्र हुए ।
सोम सौम्यप्रकृति और महान् गुरणवान था । उसके साजणदेवी स्त्री थी । नाराण, वाछा, गोधा और राघव नामक चार पुत्र थे ।
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रत्न महान् दानी था - जिसने अपने दान रूपी शीतल जल के अक्षुण्ण प्रवाह से दारिद्रताप से संतप्त पृथ्वी को शीतल बना दिया था। उसने शत्रु जयादि तीर्थों की संघयात्रायें करके संघपति के गौरवशाली पद को प्राप्त किया था । ऐसा महान् दानी एवं धर्मात्मा रत्न के रत्नदेवी नामा सुशीला स्त्री से गुणवान् तीन पुत्र धन, सायर और सहदेव थे । रत्न का अपने लघु भ्राता सिंह पर अधिक स्नेह था । धर्म कार्य एवं संघयात्रा में सिंह
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