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इस कोष्टक में छोपापल्लीवालों की जो कन्नौज, अलीगढ़, दिल्ली आदि कई नगर ग्रामों में बसे हैं, की गणना नहीं है और इस जन गणना, कोष्टक में जयपुर, अलवर, भरतपुर स्थानों को छोड़कर शेष राजस्थान के उदयपुर राज्य, प्रतापगढ़, डूंगरपुर जोधपुर, जैसलमेर के स्थानों में जन-गरणना करते समय भ्रमण नहीं किया गया प्रतीत होता है । छीपा पल्लीवालों की गणना का विचार भी छोड़ दिया ज्ञात होता है। बीकानेर अस्पर्शित है । परन्तु इन राज्यों और अन्य इस ही प्रकार छूटे हुए भारत के भाग में कठिनतः पल्लीवाल १०००-१२०० घर होंगे । मुख्यतः तो घनी आबादी वाले भागों का उपरोक्त कोष्ठक में अंकन आ चुका है। तात्पर्य यह निकलता है कि सन् १९२० ई० में पल्ली वाल ज्ञाति की जन गणना समस्त स्पर्शित अस्पर्शित भागों के निवासियों को मिलाकर भी ६०००-६५०० होगी; इससे अधिक नहीं । लगभग ५० वर्ष पहिले किसी धनाढ्य ने विवाह में घर पीछे एक बेला व चबेनी बाँटी थी, जिसमें छकड़े भरकर गाँवों में भेजें गये थे, उस समय ६००० घरों की संख्या बैठी थी । अब खेद है कि संख्या इतने वर्षों में इतनी कम हो गई है ।
१. गुर्जर - सौराष्ट्र के भागों में पल्लीवाल बहुत कम संख्या में हैं और वे भी रेल आदि यातायात के साधनों और मीलों में वहुत २-दूर । व्यय के अधिक पड़ने के भय से इन अछूत स्थानों में जनगणना करते समय भ्रमण नहीं किया गया प्रतीत होता है। छीपा पल्लीवालों की गणना का विचार भी छोड़ दिया गया प्रतीत होता है
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