________________
( ५ ) श्री त्रिषष्टि (पर्व २-३)-बि० सं० १२६५ आश्विनकृ ० २ रविवार को बीजापुर में उपा • देवभद्रगणि, पं० मलय कीत्ति, पं० फूलचंद, पं० देवकुमारमुनि, नेमिकुमारमुनि आदि के सदुपदेश से श्रेष्ठि लाहड़ और अन्य श्रेष्ठि ठ० आसपाल, श्रे० वील्हण ने समस्त साधुगण,श्रावकों के पठन वाचनार्थ एवं कल्यागार्थ प्रति लिखवाई। ५
(६ ) श्री पाक्षिक चूणिवृत्ति -वि० सं० १२६६ वै० शु० ३ गुरूवार को वीजापुर में उपा ० विजयचंद्र के सदुपदेश से सा० नेमड़ के तीन पुत्र सा ० राहड़, सा • जयदेव और सा० सहदेव ने अपने पुत्रों के सहित श्री चतुर्विध संघ के पठन-वाचनार्थ लिखवा कर स्वश्रेयार्थ अर्पित की। ६ ।
(७) श्री भगवतीसूत्रवृत्ति-वि सं १२६८ मार्ग सु० १३ सोमवार को बीजापुर में श्री देवचन्दसूरि, श्री विजयचन्द सूरि के सदुपदेश से श्री लाहड़ ने देवचन्द्र, जिनचन्द्र, धनेश्वर, सहदेव' षेढ़ा, सं ० गोसल आदि परिजनों के सहित चतुर्विध संघ के पठनवाचन के लिये लिखवाई।।
(८) श्री शब्दानुशासन बृहद त्ति-वि० सं० १२६८ द्वि० भाद्र कृ० ७ गुरूवार को बीजापुर में उक्त बृत्ति के प्रथम खण्ड को समस्त श्रावकों द्वारा लिखवाई । इसमें नेमड़ के वंशजों का अवश्य (५) ३७, ५७, जेन पुस्तक प्रशस्ति संग्रह प्र. १७७ पृ० १२१, (६) २५, (७) ५४
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org