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११४ पायली से मापा जाता था अतः पाली से मापने वाला अथवा पाली रखने वाला कृषक और व्यापारी पल्लीवाला-पालीवालापल्लीवाल-पल्लिकीय कहलाता हो और ऐसे पल्लीवालों की अधिक संख्या एवं बस्ती के पीछे वह नगर ही पाली नाम से विद्युति में आया हो । ऐतिहासिक प्रमाणों के अभाव में मैं इन अनुमानों पर बल देकर नहीं कह सकता परन्तु पाली और पाली नामक माप की नाम साम्यता और पाली में पाली माप का प्राचीन समय से होता रहा प्रचार अवश्य विचारणीय हैं । जो कुछ हो-चाहे पल्ली-पालीवाल के पीछे नगर का नाम फाली पड़ी हो और चाहें नगर में पाली (माप) का प्रयोग होने से नगर का 'नाम पाली पड़ा हो और पाली-पल्ली माप का प्रयोग करने वाले कृषक, व्यापारी पल्लीवाल-पालीवाल कहाया हो-इन अटकलों से कोई विशेष प्रयोजन नहीं। विशेष संभव यही है कि यह छोटा ग्राम हो और पीछे बड़ा नगर बन गया हो। । प्रयोजन मात्र इतना ही है कि पाली से पल्लीवाल ज्ञाति का निकाश मानना अधिक संगत प्रतीत होता है और यह प्रसंग अनेक कवित्त, दन्त कथा, जन श्रुतियों में आता है और प्राचीनइतिहास, पुरातत्त्व के प्राप्त प्रमाणों पर जब तक कि अन्य स्थल के पक्ष में प्रबल प्रमाण न मिल जाय, पाली ही पल्लीवाल ज्ञाति का उत्पत्ति-स्थान माना जाना चाहिए । ... इसी पाली नगर से पल्लीवाल गच्छ की उत्पत्ति मानी जाती है। पल्लीवाल गच्छ की उत्पत्ति का अन्य स्थान अभी तक तो
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