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પાકિસ્તાનનાં જૈન મંદિરો
प्रस्तावना
पाकिस्तान में जैन मन्दिरों के बारे में लिखते हुए एक अजीब से अहसास और आह्लादक सन्तुष्टि की अनुभूति अभी तक हुई है। करीब 40-45 जगहों के 80-85 मंदिरों की कला, वैभव, शिल्प, बुलन्दी, बारीकी, विशालता, पेंटिंग्ज़ और लोकेशन की सुन्दर सेटिंग अपने में बेजोड़ है। मंदिरों को निहारते हुए, मैं स्वयं साक्षात् इनमें घूमता व खो जाता रहा हूँ ।
एक ओर जहाँ टैक्सिला से जुड़े हैं- भगवान बाहुबलीजी, श्री मानदेव सूरि रचित 'लघु शांति स्तोत्र' तथा श्री जिनप्रभ सूरि रचित ' विविध तीर्थ कल्प', .. वहीं, भेरा ( वीतभय पत्तन) में भगवान महावीर व राजा उदायन की गाथाएँ आज भी कीर्तिमान हैं । और..... भारत भर के 'गोड़ी पार्श्वनाथ' के मूल (पितृ स्थान ) गोड़ी की कला व पेंटिंग्ज़ आज भी अजंता एलोरा से माथा लेने में सक्षम हैं। देराउर तथा गुजरांवाला स्थित समाधियों की खामोशी में भी सुनी जा सकती हैं, गुरुदेवों के उपकारों की कहानियाँ ।
पाकिस्तान के सुविख्यात लेखक श्री इक़बाल क़ैसर ने स्वयं हर स्थान पर जाकर इन मंदिरों के मण्डप, स्तम्भ, चित्र, मूर्तिस्थान और शिखरों के खण्डहरों से हुई मुलाकातों को लिखकर बहुत बड़ी कमी को पूरा किया है। यह उनका अहसान है पूरे जैन समाज पर । विशेष आभारी हूँ ।
गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद् विजय नित्यानन्द सूरि जी की प्रेरणा व आशीर्वाद से ग्रंथ 'वीरान विरासतें' का प्रकाशन उन्हीं को सादर समर्पित है ।
श्री राघव प्रसाद पाण्डेय ( रानी स्टेशन) तथा श्री रविन्द्र जैन (मालेरकोटला) से पग-पग पर मिले सहयोग को भुलाया नहीं जा सकता । बहुतबहुत धन्यवाद ।
मेरे सुपुत्र गौतम जैन व पुत्रवधू सीमा जैन ने पुस्तक लेखन कार्य में मेरी हर सुविधा का ख्याल रखा है। बहुत शुक्रिया ।
सुरुचिपूर्ण कम्प्यूटर संकल्पना हेतु निधि कम्प्यूटर्स के डॉ. क्षेमंकर पाटनी और मोहक मुद्रण के लिये प्रिण्ट प्लस, जोधपुर को धन्यवाद अर्पित करता हूँ | असावधानी के कारण किसी तथ्य या आलेख में रही त्रुटि या भूल के लिये क्षमा चाहता हूँ ।
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- महेन्द्रकुमार मस्त