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पद्मपुराणे हेमचन्द्राचार्यसे पूर्ववर्ती है अतः इनके समक्ष भी 'पउमचरिय' और 'पद्मचरित' रहा अवश्य होगा पर उन्होंने इसे अपनी कथामें क्यों नहीं अपनाया यह एक रहस्यपूर्ण बात मालूम होती है।
'पउमचरिउ' और 'पद्मचरित' की रामकथा अधिकांश वाल्मीकि रामायणके आधारपर चलती है क्योंकि दोनों ही ग्रन्थोंमें राजा श्रेणिकने गौतमस्वामीसे रामकी यथार्थ कथा कहने की जो प्रेरणा की है उससे स्पष्ट ध्वनित होता है कि उस समय लोकमें एक रामकथा प्रचलित थी जिसमें रावण कुम्भकर्ण आदिको मांसभक्षी राक्षस, तथा सुग्रीव, हनुमान् आदिको वानर बताया गया था। इसके सिवाय इतिहासवेत्ताओंने वाल्मीकि रामायणका समय भी ईसवीय पूर्व बतलाया है, तब उसका 'पउमचरिउ' और 'पद्मचरित' के कर्ताके सामने रहना शक्य ही है। उत्तरपुराणकी धारामें सीताजन्मका जो वर्णन मिलता है वह विष्णुपुराणके ढंगका है। दशरथ बनारसके राजा थे यह बात बौद्धजातकसे मिलती-जुलती है। उत्तरपुराणके समान बौद्ध जातकमें सीतात्याग तथा लवकुश-जन्म आदि नहीं हैं। कहनेका सारांश यह कि भारतवर्ष में रामकथाकी जो तीन धाराएँ प्रचलित हैं वे जैन सम्प्रदायमें भी प्राचीनकालसे चली आ रही हैं।
सीताजन्मके विविध कथन
इन धाराओंमें सीताजन्मको लेकर पर्याप्त विभिन्नता आयी है, इसलिए उन विभिन्नताओंका इस स्तम्भमें संकलन कर लेना उपयुक्त प्रतीत होता है।
सीताजन्मके विषयमें निम्नांकित मान्यताएं उपलब्ध हैं
[१] सीता जनककी पुत्री है
___इसका उल्लेख 'महाभारत' तथा 'हरिवंश' की रामकथा, 'पउमचरिउ' तथा 'पद्मचरित' और आदिरामायणमें मिलता है । [२] सीता पृथिवीकी पुत्री है
इसका उल्लेख वाल्मीकि रामायण तथा उसके आधारसे लिखी गयी अन्य रामकथाओंमें पाया जाता है। वाल्मीकि रामायणके उत्तरीय पाठमें जनक तथा मेनकाकी मानसी पुत्री भी बतलाया है पर पृथिवीसे मानवीकी उत्पत्ति एकदम असंगत प्रतीत होती है। [३] सीता रावणकी पुत्री है
इसका उल्लेख उत्तरपुराण, विष्णुपुराण, महाभागवतपुराण, काश्मीरीरामायण, तिब्बती तथा खोतानीरामायणमें मिलता है।
[४] सीता कमलसे उत्पन्न हुई है
इसका उल्लेख अद्भुतरामायणमें है, इसकी विस्तृत कथा पहले दी जा चुकी है। [५] सीता ऋषिके रक्तका सम्बन्ध पानेवाली मन्दोदरीके गर्भसे उत्पन्न हुई
इसका उल्लेख दशावतार चरितमें पाया जाता है।
[६] सीता अग्निसे उत्पन्न हुई है
यह आनन्दरामायणमें लिखा है।
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