Book Title: Nisihajjhayanam
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragya Acharya, Mahashraman Acharya, Srutayashashreeji Sadhvi
Publisher: Jain Vishva Bharati
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आमुख
निसीहज्झयणं
१. गृहस्थ अथवा अन्यतीर्थिक से गृहधूम का परिशाटन । २. पूतिकर्म का भोग।
गृहधूम सूत्र से वैसी सब सूक्ष्मचिकित्साओं का संकेत मिलता है, जिनमें अल्पतम दोष की भी संभावना रहती है। पूतिकर्म दोष की संभावना आहार, पानी के समान उपधि एवं वसति के विषय में भी संभव है। भाष्य एवं चूर्णि में उनका भी विस्तृत विवरण उपलब्ध होता है। इस प्रकार छप्पन सूत्रों में संदृब्ध इस उद्देशक में अनेक विषयों का संग्रहण हुआ है। सम्पूर्ण आगम-साहित्य अंग प्रविष्ट एवं अंगबाह्य श्रुत में संभवतः यही एकमात्र उद्देशक है, जिसमें केवल अनुद्घातिक मासिक प्रायश्चित्त सम्बन्धी इतने तथ्यों का एक साथ संग्रहण/संकलन हुआ है।