________________ प्रकरण नौवा . . . . पृष्ठ 56 से 63 तक . लग्न व भर्तृहरिसे भेट राजा विक्रमादित्य का लक्ष्मीपुर के राजा वैरीसिंह की रानी पद्मा की कुक्षि से उत्पन्न हुई कमलावती से विवाह किया गया। सुखपूर्वक दिन-रात्रि बिताते हुए विक्रमादित्यको बडे भाई भर्तृहरि की स्मृति हुई, स्मृति होते ही विरहव्यथा बढती चली, जिस से सामन्तादि को भर्तृहरिको अवन्ती पधारनेकी विनति के लिये भेजे गये, उस विनति द्वारा महर्षि भर्तृहरि अवन्ती पधारे, राज्य स्वीकार करने के लिये विक्रमादित्यने आजीजी की, त्यागी भर्तृहरिने उसका निषेध किया और शहर नहि छोडनेके लिये किया गया। फिर शहर बाहर रहने के लिये आजीजी की गई, बादमें आहारादि के लिये राजमहल में भर्तृहरिजी आने लगे और महारानी से वैराग्यमय बातें करके चले गये। इस प्रकरण में भर्तृहरिजी की एक दंतकथा' भी रोचनीय है। समाप्तः प्रथमः सर्गः सर्ग दूसरा पृष्ठ 34 से 115 प्रकरण 10 से 12 तक मकरण दसवा . . . . पृष्ठ 64 से 74 तक . नरद्वेषिणी. विक्रमादित्य राजसभा में बैठे हैं और एक नाई शरीर प्रमाण Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org