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में एक राजू लम्बी, एक राजू चौड़ी और १४ राजू ऊँची त्रस नाली है। इस त्रस नाली के ३२१६२२४१-२/३ धनुषकम १३ राजू प्रमाण क्षेत्र में बस और स्थावर दोनों प्रकार के जीव रहते हैं। सातवीं पृथ्वी के मध्य में ही नारकी रहते हैं, नीचे त्रस जीव नहीं रहते हैं। ___ सातवीं पृथ्वी के नीचे एक राजू प्रमाण क्षेत्र में स्थावर जीव ही रहते हैं। ऊर्ध्वलोक में सर्वार्थसिद्धि विमान तक ही त्रस जीव रहते हैं। लोकान्त में १५% मनुष प्रमाण तनवातला के उपरितन ५२५ धनुष क्षेत्र में सिद्ध परमेष्ठियों का निवास है। ११. प्रश्न : ३२१६२२४१३ धनुष कैसे प्राप्त होते हैं ? उत्तर : त्रस नाली की ऊँचाई १४ राजू प्रमाण है। इसमें सातवें नरक के नीचे एक राजू प्रमाण कलकल नामक स्थावर लोक है, यहाँ त्रस जीव नहीं रहते, अतः इसे तेरह राजू कहा गया है। इसमें भी सप्तम नरक के मध्य भाग में ही नारकी (प्रस) हैं, नीचे के ३६६६, योजन यानी ३१६६४६६६३ धनुष में नहीं हैं। इसी प्रकार ऊर्वलोक में सर्वार्थसिद्धि से ईषत्प्राग्भार नामक आठवीं पृथ्वी के मध्य १२ योजन यानी ६६,००० धनुष का अन्तराल है,
आठवीं पृथ्वी की मोटाई ६ योजन यानी ६४,००० धनुष है और इसके ऊपर दो कोस (४,००० धनुष), एक कोस (२,००० धनुष)