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और दोनों सूर्य एक-एक गली (वीथी) में प्रतिदिन संचार करते हैं। ६५. प्रश्न : विसदृश प्रमाण वाली परिथियों को सूर्च-चन्द्र समानकाल में कैसे समाप्त करते हैं ? उत्तर : सूर्य और चन्द्र प्रथम वीथी में हाथीवत् मध्यम चीथी में घोड़ेवत् ओर अन्तिम वीथी में सिंहवत् गमन करते हैं। अर्थात् प्रामादि बीथी हो गये जाते रमग शीप्वगति से एवं बाह्यादि वीथी से पीछे आते समय मन्द गति से गमन करते हैं। इस प्रकार विषम वीथियों को समान काल में पूरा कर लेते हैं। ६६. प्रश्न : ज्योतिषी देवों का गमन किस प्रकार है ? उत्तर : ज्योतिषी देवों में चन्द्रमा का सबसे मन्द गमन है, सूर्य चन्द्रमा से शीघ्रगामी है, ग्रह सूर्य से शीघ्रगामी है,नक्षत्र ग्रह से शीघ्रगामी है और तारागण उससे भी अधिक शीघ्रगामी हैं।
चन्द्रमा अभ्यन्तर वीथी में एक मिनट में ४,२२,७६७१ मील चलता है। अभ्यन्तर वीथी में सूर्य एक मिनट में ४,३७,६२३० मील चलता है। ६७. प्रश्न : ज्योतिषी देवों के संचार से क्या होता है ? उत्तर : ज्योतिषी देवों के संचार से काल का विभाग होता है। जम्बूद्वीप की वेदी के पास १८० योजन की अभ्यन्तर (प्रथम) वीथी
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