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देव पाँचव पृथ्वी पर्यन्त, नौ ग्रैवेयकवासी देव छठी पृथ्वी पर्यन्त और अनुदिश एवं अनुत्तरवासी देव सम्पूर्ण लोकनाड़ी को देखते हैं।
प्रत्येक कल्प के देव अपने-अपने विमान के ध्वजादण्ड से ऊपर के क्षेत्र की बात नहीं जान सकते ।
वैमानिक देवों के अवधिज्ञान के विषयक्षेत्र प्रमाण ही उनकी विक्रिया शक्ति होती है।
१२४ प्रश्न : वैमानिक देवों में लेश्या का क्या क्रम है ?
उत्तर : सौधर्म और ईशान में पीत लेश्या का मध्यम अंश, सानत्कुमार और माहेन्द्र में पद्म लेश्या के जघन्य अंश सहित पीत लेश्या का उत्कृष्ट अंश, ब्रह्मादिक छह में पद्म लेश्या का मध् यम अंश, शतार युगल में शुक्ल लेश्या के जघन्य अंश सहित पद्म लेश्या का उत्कृष्ट अंश, आनतादि चार एवं नौ ग्रैवेयकों में शुक्ल लेश्या का मध्यम अंश और नौ अनुदिश और पाँच अनुत्तर विमानों में शुक्ल लेश्या का उत्कृष्ट अंश होता है। इस प्रकार उपर्युक्त स्वर्ग के देवों में ये लेश्याएँ होती हैं।
१२५. प्रश्न : स्वर्गों में आगे-आगे अधिकता एवं आगे-आगे हीनता किन-किन बातों में होती है ?
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