Book Title: Karananuyoga Part 3
Author(s): Pannalal Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha

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Page 134
________________ अरनाथ कुरु वंश में तथा अवशेष १७ तीर्थंकर इक्ष्वाकुवंश में उत्पन्न हुए थे। २२४. प्रश्न : चौबीस तीर्थंकरों के कौन-कौन कारण से वैराग्य उत्पन्न हुआ ? उत्तर : शान्तिनाथ, कुन्थुनाथ, वासुपूज्य, सुमतिनाथ, पद्मप्रभु, मुनिसुव्रतनाथ, नमिनाथ, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ एवं वर्धमान स्वामी पूर्व जन्मों के स्मरण से वैराग्य को प्राप्त हुये। अजितनाथ, पुष्पदन्त, अनन्तनाथ और धर्मनाथ स्वामी उल्कापात देखकर विरक्त हुए। अरनाथ, संभवनाथ और विमलनाथ मेघविनाश से, श्रेयांसनाथ और सुपार्श्वनाथ बसन्तकालीन बनलक्ष्मी का नाश देखकर, चन्द्रप्रभ और मल्लिनाथ अध्रुव बिजली आदि से, शीतलनाथ हिमनाश से और ऋषभदेव नीलाञ्जना के मरण से वैराग्य को प्राप्त हुये। २२५. प्रश्न : समवसरण में कौन-कौन नहीं जाते हैं ? उत्तर : समवसरण में मिथ्यादृष्टि, अभव्य और असंज्ञी जीव कदापि नहीं जाते हैं तथा अनध्यवसाय से युक्त, सन्देह से युक्त और विविध प्रकार की विपरीतताओं वाले जीव भी नहीं जाते हैं। २२६. प्रश्न : समवसरण की क्या विशेषता है ? (१२५)

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