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जीव एक ही समय में तीर्थकर भी और चक्रवर्ती भी थे तथा प्रथम नारायण त्रिपृष्ठ का जीव ही अंतिम तीर्थकर महावीर हुआ। इस प्रकार शलाका पुरुषों की संख्या ५८ होती है। ५६ एवं ६० संख्या में इसी प्रकार लगा लेना। २२०. प्रश्न : किन तीर्थकरों के काल में कितने समय तक
धर्म-विच्छेद हुआ है ? उत्तर : पुण्यदन्स से लेकर शांतिनाथ पर्यन्त के ७ तीर्थंकरों के काल में जैनधर्म का विच्छेद हुका है। बादल और शीतन के अन्तराल में १/४ पल्य तक, शीतनाथ और श्रेयांसनाथ के अन्तराल में १/२ पल्य तक, श्रेयांसनाथ और वासुपूज्य के अन्तराल में ३/४ पल्य तक, वासुपूज्य और विमलनाथ के अन्तराल में १ पल्य तक, विमलनाथ और अनन्तनाथ के अन्तराल में ३/४ पल्य तक, अनन्तनाथ और धर्मनाथ के अन्तराल में १/२ पल्य तक एवं धर्मनाथ और शान्तिनाथ के अन्तराल में १/४ पल्य तक जैनधर्म का विच्छेद हुआ है अर्थात् चतुर्थ काल में ४ पल्य तक जैनधर्म के अनुयायियों का सर्वथा अभाव रहा है। २२१. प्रश्न : तीर्थकर का तीर्थकाल कितना है ? उत्तर : पूर्व तीर्थकर की दिव्यध्वनि.से लेकर अग्रिम तीर्थंकर की प्रथम दिव्यध्वनि खिरने तक तीर्थकर का तीर्थकाल कहलाता है।
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