________________
।
के ऐसे वचन सुनकर कल्की ने मन्त्रियों सहित नियम बनाया कि उन निर्ग्रन्थों के पाणिपुट में रखा गया प्रथम ग्रास टैक्स रूप में ग्रहण किया जाय। प्रथम ग्रास कर रूप में मांगे जाने पर मुनि आहार छोड़कर बन में चले जाते हैं। इस अपराध को सहन करने में असमर्थ असुरपति वज्रायुध द्वारा कल्की को मार डालते हैं। कल्की का पुत्र असुरपति की शरण में आकर, असुरेन्द्र के द्वारा किये हुए जैनधर्म के माहात्म्य का प्रत्यक्ष फल देखकर सम्यग्दर्शनरूपी रत्न को धारण करता है।
.
(१२)