Book Title: Karananuyoga Part 3
Author(s): Pannalal Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha

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Page 145
________________ २४६. प्रश्न : उच्छिष्टावली किसे कहते हैं ? उत्तर: कर्मों की स्थिति का सत्त्व घटते-घटते जो आवली मात्र प्रकृति शेष रह जाती है, उसे उच्छिष्टावली कहते हैं। २५०. प्रश्न : प्रकृति बन्धापसरण किसे कहते हैं ? उत्तर : परिणामों की विशुद्धता से प्रकृतिबन्ध का क्रम से घटना प्रकृति बन्धापसरण कहलाता है। २५१. प्रश्न : स्थिति बन्धापसरण किसे कहते हैं ? उत्तर : परिणामों की विशुद्धता से स्थितिबन्ध का क्रम से घटना स्थिति बन्धापसरण कहलाता है। २५२. प्रश्न : स्थिति काण्डकघात क्या है ? उत्तर : उपरितन निषेकों का क्रम से अधस्तन निषेकों में क्षेपण करना स्थितिकाण्डकघात है।' २५३. प्रश्न : अनुभागकाण्डक घात किसे कहते हैं ? .. उत्तर : अधिक अनुभाग वाले उपरितन स्पर्धकों का अभाव कर उसके परमाणुओं को अल्प अनुभाग वाले अथस्तन स्पर्धकों में क्रम १. स्थितिकाण्डकघात द्वारा विवक्षित अनस्थिति समूह के निषेक पूर्णतः खाली होकर नीचे आ जाते हैं। (१३६)

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