Book Title: Karananuyoga Part 3
Author(s): Pannalal Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha

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Page 136
________________ (११), कामदेव (२४) और कुलकर (१४) ये सब (१६०) भव्य पुरुष नियम से सिद्ध होते हैं। २२६. प्रश्न : दुःषमा काल का प्रारम्भ कब हुआ? अंतिम केवली कौन हुए ? उत्तर : वीर जिनेन्द्र का निर्वाण होने के पश्चात् तीन वर्ष, आठ मास और एक पक्ष व्यतीत हो जाने पर दुःषमा काल का प्रारम्भ होता है। महावीर स्वामी के सिद्ध होने के बाद गौतम स्वामी, सुधर्म स्वामी एवं जम्बू स्वामी तीन अनुबद्ध केवली हुए। अंतिम श्रीधर केवली हुये, जो कुण्डलगिरि से सिद्धि को प्राप्त हुए। २३०. प्रश्न : दुःषमा काल में कल्की, उपकल्की कब होते हैं एवं उनके कार्य क्या है ? उत्तर : दुःषमा नामक पञ्चम काल में एक-एक हजार वर्षों के पश्चात् एक-एक कल्की तथा पाँच-पाँच सौ वर्षों के पश्चात् एक-एक उपकल्की होता है। कल्की उन्मार्गाभिमुख होते हैं। कल्की अपने मन्त्रीगणों से पूछते हैं कि कौन हमारे वश में नहीं है ? मंत्रीगण बोले-निर्ग्रन्थ साधु नहीं हैं। वे शास्त्रानुसार भिक्षावृत्ति से भोजन लेते हैं। मन्त्री (१२७)

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