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१६ वक्षार पर्वतों पर ४ गजदन्त पर्वतों पर ४ अकृत्रिम जिनमंदिर ६ कुलाचल पर्वतों पर जम्बू-शाल्मलि २ वृक्षों पर २ , ,
एक मेरु सम्बन्धी- कुल ७८ , , ७८x ५ = ३६० अकृत्रिम जिन चैत्यालय पाँच मेरु सम्बन्धी हुये। * पाँच मेरु सम्बन्धी ३६० अकृत्रिम जिनमंदिर * चार इष्वाकार पर्वतों के ४ अकृत्रिम जिन मंदिर मानुषोत्तर पर्वत के नन्दीश्वर द्वीप के कुण्डलगिरि के रुचकगिरि के मध्यलोक संबंधी कुल ४५८ १९८. प्रश्न : मनुष्यलोक की स्थिति कहाँ पर है एवं उसका
प्रमाण क्या है ? उत्तर : चित्रा पृथ्वी के ऊपर असनाली के बहुमध्य भाग में
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