Book Title: Karananuyoga Part 3
Author(s): Pannalal Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha

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Page 126
________________ २१०. प्रश्न : सुमेरु पर्वत एवं अन्य चारों मेरु पर्वतों का अवस्थान कहाँ है एवं उनका स्वरूप क्या है ? उत्तर : विदेह क्षेत्रों के बहुमध्य भाग में मेरु पर्वतों का अवस्थान है। सुदर्शन मेरु १००० योजन गहरा (नीव), ६८,००० योजन ऊँचा और भूमि पर १०,००० योजन विस्तार वाला है। चारों मेरु पर्वत १००० योजन नींब सहित ८४,००० योजन ऊँचे हैं, भूमि पर ६,४०० योजन विस्तार वाले हैं। पाँचों मेरुओं का विस्तार शिखर पर १००० योजन प्रमाण हैं। सुमेरु पर्वत के मूल में भद्रशाल वन है, इससे ५०० योजन ऊपर जाकर नन्दन वन है, इससे ६२,००० योजन ऊपर जाकर सौमनस वन है और इससे ३६,००० योजन ऊपर जाकर पाण्डुक वन है। ये चारों वन सुमेरु पर्वत के चारों ओर हैं और अनेक प्रकार के वृक्षों से सुशोभित हैं। चारों वनों की पूर्व, दक्षिण, पश्चिम और उत्तर दिशा में एक-एक अकृत्रिम जिन चैत्यालय है। पाण्डुक वन की चार विदिशाओं में पाण्डुक, पाण्डुकम्बला, रक्ता और रक्ताकम्बला नाम की चार शिलाएँ हैं, जो क्रमशः स्वर्ण, चांदी, तपाए हुए स्वर्ण और रक्त वर्ण सदृश हैं। भरत क्षेत्र पश्चिम विदेह क्षेत्र, ऐरावत क्षेत्र एवं पूर्व विदेह क्षेत्र में उत्पन्न होने वाले तीर्थकरों का जन्माभिषेक क्रमशः इन्हीं " व (११७)

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