Book Title: Karananuyoga Part 3
Author(s): Pannalal Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha

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Page 128
________________ तट पर और मन्दर पर्वत के उत्तर-पार्श्व भाग में जिनेन्द्र प्रासाद हैं । २१२. प्रश्न जम्बू एवं शाल्मली वृक्ष कहाँ पर हैं, उनका स्वरूप कैसा है ? उत्तर : नील कुलाचल के समीप, सीता नदी के पूर्व तट पर सुदर्शन मेरु की ईशान दिशा में उत्तर कुरुक्षेत्र में जम्बूवृक्ष है । अपने स्कन्ध से ऊपर वज्रमय अर्धयोजन चौड़ी और आठ योजन लम्बी उसकी चार शाखाएँ हैं। जो शाखा उत्तर कुरुगत नील कुलाचल की और गई है, उस पर जिनमन्दिर है । सीतोदा नदी के पश्चिम तट पर, निषेध कुलाचल के समीप, सुदर्शन मेरु की नैऋत्य दिशा में देव - कुरुक्षेत्र में शाल्मली वृक्ष है । शाल्मली वृक्ष की दक्षिण शाखी पर जिनमन्दिर है । जम्बूवृक्ष एवं शाल्मली वृक्ष के परिवारवृक्षों की संख्या १, ४०, १२०, -१, ४०, १२० है । २१३. प्रश्न भोगभूमि एवं कर्मभूमि की संख्या कितनी है और वे कहाँ-कहाँ पर हैं ? उत्तर : देवकुरु और उत्तरकुरु क्षेत्र में उत्तम भोगभूमि है, हरि और रम्यक क्षेत्र में मध्यम भोगभूमि है तथा हैमवत और हैरण्यवत ( ११६ )

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