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प्रकार के दान देते हैं या उनके मेष को धारण करते हैं, ये भोगभूमि में तिथंच होते हैं। १५५. प्रश्न : तिथंचों में कितने गणस्थान होते हैं ? उत्तर : संज्ञी (पर्याप्त नियंच) जीवों को छोड़कर शेष तैंतीस प्रकार के तिथंच जीवों के सब कारन में एक मिथ्यात्व गुणस्थान रहता है।
पाँच मेरु सम्बन्धी भरत और ऐरावत क्षेत्र के आर्य खण्डों में, ___ पाँच विदेह क्षेत्र सम्बन्धी १६० आर्यखण्डों में, विद्याधर श्रेणियों में
और स्वयम्प्रम पर्वत के बाह्य भाग में निवास करने वाले तियंचों में एक से लेकर पाँच गुणस्थान तक पाये जाते हैं।
सर्व भोगभूमिज तियंचों में एक से लेकर चार गुणस्थान पाये ___ जाते हैं एवं सब म्लेच्छखण्डों में एक मिथ्यात्व गुणस्थान ही पाया
जाता है। १५६. प्रश्न : तिर्यंचों में जघन्य एवं उत्कृष्ट अवगाहना कितनी
और किन जीयों के पाई जाती है ? उत्तर : ऋजुगति के द्वारा उत्पन्न होने वाले सूक्ष्म निगोदिया लब्ध्यपर्याप्तक जीव की उत्पत्ति से तीसरे समय में शरीर की । जघन्य अवगाहना होती है। इसका प्रमाण घनांगुल का असंख्यातवाँ । भाग है।
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