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भेद से अनंत भी तीन प्रकार का है। इस प्रकार तीनों के कुल ७ भेद हैं। सातों ही स्थान जघन्य, मध्यम और उत्कृष्ट के भेद से तीन-तीन प्रकार के हैं। इस प्रकार संख्या प्रमाण के कुल (७ x ३) = २१ भेद होते हैं। १६८. प्रश्न : उत्सेधाङ्गुल किसे कहते है और उससे किस-किस
का माप किया जाता है ? उत्तर : आठ जौ का एक अङ्गुल होता है, वही उत्सेधागुल, व्यवहारांगुल या सूच्यंगुल कहलाता है। इस उत्सेधाङ्गुल से देव, मनुष्य, तिथंच और नारकियों के शरीर की ऊँचाई का प्रमाण और देवों के निवास स्थान व नगरादि का प्रमाण मापा जाता है। १६६. प्रश्न : प्रमाणाङ्गुल किसे कहते हैं और उससे किस-किस
का माप किया जाता है ? उत्तर : पाँच सौ उत्सेधांगुलों का एक प्रमाणांगुल होता है। यह प्रमाणांगुल अवसर्पिणी काल के प्रथम चक्रवर्ती का अंगुल है। इस प्रमाणांगुल से द्वीप, समुद्र, कुलाचल, वेदी, नदी, सरोवर, कमल तथा भरतादिक क्षेत्रों का प्रमाण मापा जाता है। १७०. प्रश्न : आत्मांगुल किसे कहते हैं और उससे किस-किस
का माप किया जाता है ?