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भेदों से संयुक्त तिर्यच जीव निश्चय ही अनन्तर जन्म में शलाका पुरुष नहीं होते हैं, किन्तु वे अनन्तर जन्म में कदाचित् मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं। १६०. प्रश्न : स जीव कहाँ-कहाँ पाये जाते हैं ? उत्तर : भारणान्तिक, उपपाद एवं समुद्धात अवस्था को छोड़कर त्रस जीव त्रसनाली में ही पाये जाते हैं। मनुष्य मानुषोत्तर पर्वत पर्यन्त ही पाये जाते हैं। मानुषोत्तर पर्वत के बाह्य भाग से लेकर अंतिम स्वयम्भूरमण द्वीप में स्थित स्वयम्प्रभ पर्वत तक असंख्यात् द्वीप-समुद्रों में सर्व एकेन्द्रिय जीव एवं पंचेन्द्रिय स जीव पाये जाते हैं, किन्तु वहाँ विकलत्रय त्रस जीव एवं पंचेन्द्रिय जलचर जीवों का अभाव है। अंतिम अर्ध द्वीप एवं समुद्र में एकेन्द्रिय से लेकर पंचेन्द्रिय तक के तिर्यच जीव पाये जाते हैं। १६१. प्रश्न : लोक किसे कहते है ? उत्तर : जगतश्रेणी के घन प्रमाण अर्थात् ३४३ घन राजू को लोक कहते हैं। ३४३ घन राजू लोक का घनफल है। १६२. प्रश्न : जगत् श्रेणी किसे कहते हैं ? उत्तर : एक प्रदेश चौड़े और सात राजू लम्बे आकाश-प्रदेशों की। पंक्ति को श्रेणी कहते हैं।