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वर्षों में आहार की इच्छा होती है और उतने ही पक्षों में श्वासोच्छ्वास होता है। १२८. प्रश्न : वैमानिक देवों की आयु कितनी है ? उत्तर : सौधर्म युगल में देवों की उत्कृष्ट आयु २ सागर से कुछ अधिक, सानत्कुमार युगल में ७ सागर से कुछ अधिक, ब्रह्म युगल में १० सागर से कुछ अधिक, लान्तव युगल में १४ सागर से कुछ अधिक, शुक्र युगल में १६ सागर से कुछ अधिक, शतार युगल में १८ सागर से कुछ अधिक, आनत युगल में २० सागर, आरण युगल में २२ सागर प्रमाण आयु है। प्रथमादि नौ ग्रैवेयकों में देवों की आयु क्रमशः २३, २४, २५, २६, २७, २८, २६, ३० और ३१ सागरोपम प्रमाण है। नौ अनुदिशी में ३२ सागरोपम और पाँच अनुत्तरों में ३३ सागरोपम प्रमाण उत्कृष्ट आयु है। यहाँ शतार-सहस्रार स्वर्ग तक जो कुछ अधिक का कथन है वह घातायुष्क देवों की अपेक्षा है।
सौधर्म युगल की जघन्य आयु एक पल्य प्रमाण होती है, इससे आगे नीच-नीचे के स्वर्ग की उत्कृष्ट आयु ऊपर-ऊपर के स्वर्ग की जघन्य आयु होती है। सर्वार्थसिद्धि' के देवों में जघन्य आयु नहीं रार्वार्थसिद्धि में जघन्य आयु पल्य के असंख्यातवें भाग क्रम ३३ सागर है. ऐसा भी कितने आचार्य कहते हैं। (लोकविभाग अथवा दसम विभाग) श्लोक २३४, पृष्ठ- २०२, जैन संस्कृति संरक्षक संघ, सोलापुर।)
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