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उत्तर : नव ग्रैवेयक निम्न हैं:-१. सुदर्शन, २. अमोघ, ३. सुप्रबुद्ध, ४. यशोधर, ५. सुभद्र, ६ सुविशाल, ७. सुमनस, ८. सौमनस, ६. प्रीतिंकर 1
इस प्रकार एक के ऊपर एक अधस्तन, मध्यम और उपरिम तीन-तीन ग्रैवेयक अर्थात् नव ग्रैवेयक की रचना है ।
लोकाकाश को पुरुषाकार माना है, उस लोकपुरुष के ग्रीवा - स्थानीय भाग को ग्रीवा और ग्रीवा में होने वाले विमान को ग्रैवेयक विमान कहते हैं ।
१०८. प्रश्न: नव अनुदिश कौन-कौन हैं तथा वे कैसे अवस्थित हैं ?
उत्तर: १. अर्चि, २. अर्चिमालिनी, ३. वैर, ४ वैरोचन, ५. सोम, ६. सोमप्रभ, ७, अंक, ८. स्फटिक, ६. आदित्य ।
आदित्य नाम पटल में अर्चि, अर्चिमालिनी, वैर और वैरोचन ये चार श्रेणीबद्ध विमान क्रम से पूर्व, दक्षिण, पश्चिम और उत्तर दिशाओं में स्थित हैं। सोम, सोमप्रभ, अंक और स्फटिक ये चार श्रेणीबद्ध विमान क्रम से चार विदिशाओं में स्थित हैं। इन सबके मध्य में आदित्य नामक इन्द्रक विमान स्थित है । इस प्रकार ये नव अनुदिश विमान हैं।
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