________________
११५ प्रश्न : श्रेणीबद्ध विमानों के अवस्थान का स्वरूप कैसा है ?
उत्तर : मानुष क्षेत्र प्रमाण विस्तार वाला अर्थात् ४५,००,००० योजन विस्तार वाले प्रथम ऋतु नामक इन्द्रक विमान की चारों दिशाओं में ६२-६२ श्रेणीबद्ध विमान हैं। इसके आगे दूसरे, तीसरे, चौथे आदि इन्द्रकों में वे उत्तरोत्तर एक-एक कम ( ६१,६०,५६ आदि) होते हुए अनुदिश और अनुत्तर इन्द्रक विमानों की चारों दिशाओं में मात्र एक-एक डी श्रेणीबद्ध विमान अवशेष रहे हैं ! जम्बूद्वीप प्रमाण विस्तार वाला अर्थात् १,००,००० योजन प्रमाण विस्तार वाले अंतिम सर्वार्थसिद्धि नामक इन्द्रक विमान की चारों दिशाओं में एक-एक श्रेणीबद्ध विमान है ।
११६. प्रश्न: सब विमान आकाश में किस आधार पर अवस्थित हैं ?
उत्तर : सौधर्मेशान कल्प के विमान जल के ऊपर अवस्थित हैं । सानत्कुमार, माहेन्द्रकल्पों के विमान वायु के ऊपर स्थित हैं, ब्रह्म स्वर्ग से लेकर सहस्रार स्वर्ग तक के आठ कल्पों के विमान जल और वायु के ऊपर अवस्थित हैं और आनतादि से सर्वार्थसिद्धि पर्यन्त के सभी विमान शुद्ध आकाश में अवस्थित हैं ।
(६६)