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११७ प्रश्न: स्वर्गों में स्थित मानस्तम्भ की क्या विशेषता है ? उत्तर : इन्द्रों के सभामण्डप के आगे १ योजन विस्तीर्ण, ३६ योजन ऊँचा, पादपीठ से युक्त वज्रमय मानस्तम्भ है। इसका आकार गोल और व्यास १ योजन है। इसमें एक-एक कोस विस्तार वाली बारह धाराएँ हैं । सौधर्मकल्प में स्थित मानस्तम्भ पर स्थापित करण्डों के आभरण भरत क्षेत्र संबंधी तीर्थंकरों के लिए हैं। ऐशान कल्प में स्थित पादान पर स्थापित करण्डों के आभरण ऐरावत क्षेत्र के तीर्थंकरों के लिए हैं। सानत्कुमार और माहेन्द्र कल्प में स्थित मानस्तम्भ पर स्थापित करण्डों के आभरण पूर्व विदेहक्षेत्र संबंधी और पश्चिम विदेहक्षेत्र संबंधी तीर्थंकरों के लिए हैं। ये सभी करण्ड देवों द्वारा स्थापित एवं पूजित हैं। इन्द्र आदि देवों का और देवांगनाओं का उत्पत्ति - स्थान कहाँ पर है ?
११८. प्रश्न
उत्तर : मानस्तम्भ के पास इन्द्र का उपपाद गृह ८ योजन लम्बा, चौड़ा और ऊँचा है। उसके मध्य में रत्नों की दो शय्या हैं। आरण स्वर्ग पर्यन्त दक्षिण कल्पों की समस्त देवांगनाएँ सौधर्म कल्प में और अच्युत स्वर्ग पर्यन्त उत्तर कल्पों की समस्त देवागंनाएँ ऐशान कल्प में ही उत्पन्न होती हैं। उत्पत्ति के बाद उपरिम कल्पों के देव अपनी-अपनी नियोगिनी देवागंनाओं को
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