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द्वीप समुद्रों की वैदिका के मूल से ५० हजार योजन जाकर प्रथम वलय है, इसके बाद एक-एक लाख योजन आगे-आगे द्वितीयादि वलय हैं। सामान्य से सब ज्योतिषी देवों की संख्या असंख्यात है ( रा. वा. ४ / १३ / ४ )
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प्रश्न: मनुष्य लोकसम्बन्धी चन्द्र-सूर्य का गमनक्षेत्र कितना है ?
उत्तर : चन्द्र-सूर्य के गमन करने की क्षेत्रगली को चारक्षेत्र कहते हैं। दो चन्द्र और दो सूर्यों के प्रति एक-एक चारक्षेत्र होता है। जम्बूद्वीप के दो सूर्यो का एक चारक्षेत्र है । लवणसमुद्र के चार सूर्यो के दो चारक्षेत्र, धातकीखण्ड द्वीप के १२ सूर्यो के ६ चारक्षेत्र, कालोदक समुद्र के ४२ सूर्यो के २१ चारक्षेत्र और पुष्करार्ध द्वीप के ७२ सूर्यो के ३६ चारक्षेत्र हैं ।
जम्बूद्वीप सम्बंधी चन्द्र और सूर्य जम्बूद्वीप में तो १८० योजन क्षेत्र में ही विचरते हैं। शेष ३३० योजन लवण समुद्र में विचरते हैं अर्थात् दो-दो चन्द्र और सूर्य ५१०६६ योजन प्रमाणक्षेत्र में विचरते हैं। शेष पुष्करार्ध पर्यन्त के चन्द्र-सूर्य अपने-अपने क्षेत्र में विचरते हैं।
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योजन प्रमाण वाले चारक्षेत्र में चन्द्रमा की १५ गलियाँ एवं सूर्य की १८४ गलियाँ हैं। इनमें से क्रमशः दोनों चन्द्र
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