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६२. प्रश्न : ज्योतिष्क विमानों का पारस्परिक अन्तर कितना है ?
उत्तर : ताराओं का जघन्य अन्तर एक कोस का सातवाँ भाग है, मध्यम अन्तर पचास कोस और उत्कृष्ट अन्तर एक हजार योजन है सूर्य से सूर्य का और चन्द्र से चन्द्र का जघन्य अन्तर ६६,६४० योजन है, उत्कृष्ट अन्तर १,००,६६० योजन है । ( रा. वा. ४) ६३. प्रश्न : अढ़ाई द्वीप से बाहर ज्योतिषी देवों की संख्या एवं अवस्थान किस प्रकार है ?
उत्तर : पुष्करार्ध द्वीप के बाह्य भाग के प्रथम वलय में १४४ चन्द्र और १४४ सूर्य हैं तथा द्वितीयादि वलयों में प्रथमादि वलयों से चार-चार की वृद्धि को लिए हुए हैं। पूर्व-पूर्व के द्वीप- समुद्रों के आदि में चन्द्र, सूर्य की जो संख्या है, उससे उत्तरोत्तर द्वीप समुद्रों की आदि में चन्द्र-सूर्य की संख्या दूनी दूनी है। जैसे- पुष्करार्ध द्वीप के प्रथम वलय में १४४-१४४ चन्द्र-सूर्य हैं, पुष्करवर समुद्र के प्रथम वलय में २८८ - २८८ चन्द्र-सूर्य हैं, आदि ।
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मानुषोत्तर पर्वत से ५०,००० योजन जाकर बाहूय पुष्करार्ध में प्रथम वलय में १४४ - १४४ चन्द्र-सूर्य हैं। प्रथम वलय से एक-एक लाख योजन आगे जाते हुए क्रम से द्वितीयादि वलयों में चार-चार की वृद्धि को लिए हुए चन्द्र-सूर्य हैं। इसी प्रकार
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