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२६. प्रश्न : नारकियों के उपपाद स्थान (उत्पत्ति स्थान) कहाँ
पर होते हैं एवं उनकी चौड़ाई, ऊँचाई और आकार
कैसा होता है ? उत्तर : नारकियों के उपपाद स्थान बिलों के उपरिम भाग में अनेक प्रकार की तलवारों से युक्त, भीतर गोल और अधोमुखकण्ठ वाले होते हैं।
पहली पृथ्वी से सातवीं पृथ्वी तक के उपपाद स्थानों की चौड़ाई क्रमशः एक कोस, दो कोस, तीन कोस, एक योजन, दो योजन, तीन योजन और सौ योजन प्रमाण है।
ऊँचाई अपनी-अपनी शरीर-अवगाहना से पाँच गुणा है।
उपपाद स्थान उष्ट्रिका, कोथली, कुम्भी, मुद्गर, नाली, गाय, हाथी, घोड़ा, नाव, झालर, मसूर, ध्वज, श्रृगाल, खर, करभ, झूला, रीछ आदि नाना प्रकार के आकार वाले होते हैं। उपपाद स्थान सात, तीन, दो, एक और पाँच कोने वाले होते हैं। २७. प्रश्न : उपपाद स्थानों में उत्पन्न होने वाले नारकी जीय
क्या करते हैं ? उत्तर : नारकी जीव नरक बिलों के उपपाद- स्थानों में जन्म लेकर एक अन्तमुहूर्त में पर्याप्तियाँ पूर्ण कर उपपाद स्थान से च्युत
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