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इन्द्र एवं दो-दो प्रतीन्द्र होते हैं, अतः भवनवासियों में कुल बीस इन्द्र और प्रतीन्द्र होते हैं ! इन्द्रों के नाम इस प्रकार हैं -
असुरकुमार नामक भवनवासी देवों में चमर और वैरोचन, नागकुमार देवों में भूतानन्द और धरणानन्द, विद्युत्कुमारों के घोष और महाघोष, सुपर्णकुमारों के वेणुदेव और वेणुधारी, अग्निकुमारों के अग्निशिखी औः अग्निदाहा पातमागों के केम्व और प्रभञ्जन, स्तनितकुमारों के हरिषेण और हरिकान्त, उदधिकुमारों के जलप्रभ और अलकान्त, द्वीपकुमारों के पूर्ण और वशिष्ट तथा दिक्कुमारों के अमितगति और अमितवाहन, इस प्रकार कुल २० इन्द्र होते हैं। ४८. प्रश्न : असुरकुमार आदि देयों के मुकुटों में क्या चिह्न ।
होते हैं ? उत्तर : असुरकुमार आदि भवनवासी देवों के मुकुटों में क्रम से चूड़ामणि, सर्प, गरुड़, हाथी, मगर, वर्द्धमान (स्वस्तिक), वज्र, सिंह, कलश और अश्व के चिहून होते हैं। ४६. प्रश्न : असुरकुमार आदि देवों के चैत्यवृक्षों के क्या नाम
उत्तर : असुरकुमार आदि देवों के. चैत्यवृक्षों के नाम क्रमशः पीपल, सप्तपर्ण, शाल्मली, जामुन, वेतस, कदम्ब, प्रियंगु, शिरीष,
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