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तथा सासादन गुणस्थान होता है। पर्याप्त अवस्था में एक से चार गुणस्थान हो सकते हैं। ५३. प्रश्न : भवनत्रिक देवों में कौन उत्पन्न होते हैं ? उत्तर : अकामनिर्जरा और बालतप करने वाले मिथ्यादृष्टि मनुष्य तथा तिर्यञ्च भवनत्रिक देवों में उत्पन्न होते हैं। ८४. प्रश्न : भवनत्रिक देव कहाँ-कहाँ उत्पन्न होते हैं ? उत्तर : भवननिक देव यहाँ से आयकर कर्मभूमिज मनुष्य एवं तिर्यञ्चों में उत्पन्न होते हैं। आयु-बन्ध के समय यदि तीव्र संक्लेश भाव हो तो अग्निकायिक और वायुकायिक को छोड़कर शेष बादर एकेन्द्रियों में भी उत्पन्न हो सकते हैं। विकलत्रय में उत्पन्न नहीं होते हैं। ६५. प्रश्न : देवों की ज्योतिषी संज्ञा क्यों है ? उत्तर : सूर्य, चन्द्र, ग्रह, नक्षत्र एवं तारागण ये पाँचों प्रकार के देव ज्योतिर्मय हैं। प्रकाश करने का ही स्वभाव होने से इन पाँचों देवों की ज्योतिषी देव यह संज्ञा सार्थक है। ८६. प्रश्न : ज्योतिषी देवों का निवास कहाँ पर है ? उत्तर : चित्रा पृथ्वी से ७६० योजन की ऊँचाई से लेकर ६०० योजन तक की ऊँचाई में अथात् राजू के वर्ग को एक सौ दस.