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शक्ति से एक सौ मनुष्यों को मारने अथवा पीसने के लिये समर्थ है तथा वह देव डेढ़ सौ धनुष प्रमाण लम्बे चौड़े और मोटे क्षेत्र को बाहुओं से वेष्टित करने और उखाड़ने में भी समर्थ है।
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एक पल्योपम आयु वाला देव पृथ्वी के छह खण्डों को उखाड़ने तथा वहाँ रहने वाले मनुष्य एवं तिर्यों को मरने अथवा पीसने के लिए समर्थ है।
एक सागरोपम काल तक जीवित रहने वाला देव समग्र जम्बूद्वीप को उखाड़ फेंकने तथा तहस-नहस करने और उसमें स्थित मनुष्यों एवं तिर्यचों को मारने अथवा पीसने के लिए समर्थ है ।
जिस देव की संख्यात् वर्ष की आयु है, वह एक समय में संख्यात योजन जाता है और इतने ही योजन आता है 1
जिस देव की आयु असंख्यात् वर्ष की है, वह एक समय में असंख्यात् योजन जाता है और इतने ही योजन आता है । ६०. प्रश्न: भवनवासी देवों के ऊर्ध्व, अथः एवं तिर्यग् दिशा में अवधिज्ञान का प्रमाण क्या है ?
उत्तर : अपने-अपने भवन में स्थित भवनवासी देवों का अवधिज्ञान ऊर्ध्वदिशा में उत्कृष्ट रूप से मेरु पर्वत के शिखर
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