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भीत को छेद कर अर्थात् सेंध लगाकर, प्रियजन को मारकर और पट्टादिक को ग्रहण करके, धन का हरण करने वाले तथा अन्य भी ऐसे ही सैकड़ों अन्यायों से मूर्ख लोग भयानक नरक में दुःख भोगते हैं।
लज्जा से रहित, काम से उन्मत्त, जवानी में मस्त, पर-स्त्री में आसक्त और रात-दिन मैथुन का सेवन करने वाले प्राणी नरकों में जाकर घोर दुःख प्राप्त करते हैं।
पुत्र, स्त्री, स्वजन और मित्र के जीवनार्थ जो लोग दूसरों को टगते हुये अपनी तृष्णा बढ़ाते हैं तथा पर के धन का हरण करते हैं, वे तीव्र दुःख को उत्पन्न करने वाले नरक में जाते हैं।
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