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जैसे शर्कराप्रभा की उत्कृष्ट स्थिति ३ सागर और जघन्य स्थिति १ सागर है । उत्कृष्ट स्थिति में से जघन्य स्थिति को घटाने से २ सागर शेष रहे। इसमें प्रतर संख्या ११ का भाग देने से २/११ इष्ट हुआ। इसे प्रत्येक पाल की आयु में मिलाने पर अवान्तर पटलों में स्थित नारकियों की उत्कृष्ट आयु निकल आती
४०.. प्रश्न : नरकों में नारकियों के गुणस्थानों की क्या
व्यवस्था है ? उत्तर : बहुत आरम्भ और बहुत परिग्रह में आसक्ति, मिथ्यात्व की प्रबलता, रौद्रध्यान, मद्य-मांस-मधु का सेवन, देव-शास्त्र-गुरु का अवर्णवाद, मुनिहत्या, पर-धन का हरण, परस्त्री में आसक्ति आदि। ___मद्य पीते हुए, मांस की अभिलाषा करते हुए, जीवों का धात करते हुए और मृगया में अनुरक्त होते हुए जो मनुष्य क्षणमात्र के सुख के लिए पाप उत्पन्न करने वाले, महान् कष्टकारक और अत्यन्त भयानक नरक में पड़ते हैं।
'उपस्थित विशेषः रवप्रतरविभाजरोष्ट संगणितः । उपरि शिक्षा रिश्वतियुतः स्नेष्टप्रत रस्थितिर्गहती ।।
(राजवातिया ३-६-७) (२७)