________________
अवस्था में शामिल तथा मृतक दल की अमेथा शायोगिक सम्यग्दर्शन पाया जाता है। द्वितीयादि पृथ्वियों के नारकियों की अपर्याप्त अवस्था में कोई संम्यग्दर्शन नहीं होता क्योंकि सम्यग्दृष्टि जीव प्रथम पृथ्वी के आगे उत्पन्न नहीं होता है। पर्याप्त अवस्था में उपशम और क्षायोपमिक दोनों सम्यग्दर्शन पाये जाते हैं। ३८. प्रश्न : प्रथमादि पृथ्वियों के नारकियों की जघन्य, मध्यम
एवं उत्कृष्ट आयु कितनी है ? उत्तर : प्रथमादि पृथ्वियों के नारकियों की उत्कृष्ट आयु क्रमशः एक सागर, तीन सागर, सात सागर, दस सागर, सत्तरह सागर, बाईस सागर और तैंतीस सागर है। पूर्व नरक की जो उत्कृष्ट स्थिति होती है, वह एक समय अधिक होकर आगामी नरक की जघन्य आयु होती है। प्रथम पृथ्वी की जघन्य आयु दस हजार वर्ष है। मध्यम आयु के अनेक विकल्प हैं। ३६. प्रश्न : प्रथमादि पृथ्वियों के पटलों में नारकियों की
आयु-वृद्धि का क्या क्रम है ? उत्तर : प्रथम पृथ्वी में तेरह पटल हैं। उनमें जघन्य आयु एवं उत्कृष्ट आयु इस प्रकार हैपटल का नाम जघन्य आयु
उत्कृष्ट आयु १. सीमन्तक १०,००० वर्ष
९०,००० वर्ष
(२५)