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३१. प्रश्न : प्रथमादि पृथ्वियों में जन्म-मरण का अन्तर
कितना होता है ? उत्तर : प्रथमादि पृथ्वियों में जन्म-मरण के अन्तर का प्रमाण क्रमशः चौबीस मुहूर्त, सात दिन, एक पक्ष, एक माह, दो माह, चार माह और छह माह है अर्थात् प्रथमादि पृथ्वियों में कोई नारकी जन्म-मरण न करे तो अधिक से अधिक इतने समय तक न करे, इसक वाद तो नियम से किसी का जन्म-मरण होता ही
है।
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प्रश्न : नरक से निकलने वाले नारकी जीवों की उत्पत्ति कहाँ-कहाँ पर होती है और वे कहाँ-कहाँ पर उत्पन्न नहीं होते हैं ? नरक से निकल कर वे क्या-क्या नहीं
बन सकते हैं? उत्तर : नरक से निकला हुआ जीव मनुष्यगति और तिर्यञ्चगति में कर्मभूमिज, संज्ञी, पर्याप्तक और गर्भज ही होता है तथा सातवीं पृथ्वी से निकला हुआ जीव कर्मभूमिज, संज्ञी, पर्याप्तक और गर्भज तिर्यञ्च ही होता है।
नरकों से निकले हुए जीव नारायण, प्रतिनारायण, बलभद्र और चक्रवर्ती नहीं होते। चतुर्थादि पृथ्वियों से निकले हुए जीव यथाक्रम तीर्थकर, चरमशरीरी, सकलसंयमी और मिश्रत्रय
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