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१ राजू, ब्रह्मलोक में ५ राजू और लोक के अग्रभाग में १ राजू है।
लोकमध्य से १ राजू नीचे शर्करा पृथ्वी के अन्त में १६ राजू चौड़ाई है। उससे एक राजू नीचे बालुका प्रभा के अन्त में २४ राजू चौड़ाई है। उससे एक राजू नीचे पड़ प्रभा के अन्त में ३. राजू, फिर एक राजू नीचे धूमप्रभा के अन्त में ४ राजू, पुनः एक राजू नीचे तमःप्रमा के अन्त में ५३ राजू, पुनः एक राजू नीचे महातमःप्रभा के अन्त में ६, राजू चौड़ाई है। फिर, एक राजू नीचे कलकल पृथ्वी के अन्त में ७ राजू चौड़ाई है। ___ इसी प्रकार लोकमध्य से एक राजू ऊपर २६ राजू, फिर एक राजू ऊपर ३६ राजू, फिर एक राजू ऊपर ४, राजू, फिर आधा राजू ऊपर जाने पर ५ राजू चौड़ाई है। पुनः आधा राजू ऊपर जाकर ४ राजू, फिर एक राजू ऊपर ३३ राजू, फिर एक राजू ऊपर जाने पर २१राजू, फिर एक राजू ऊपर जाकर लोकान्त में १ राजू चौड़ाई है। १०. प्रश्न : लोक में किन-किन जीवों का कहाँ-कहाँ निवास
उत्तर: पृथ्वीकायिक आदि पाँच प्रकार के स्थावर जीव सम्पूर्ण लोक में भरे हुए हैं, परन्तु त्रस जीव त्रस नाली में ही रहते हैं (समुद्घात आदि विशेष अवस्थाओं को छोड़कर)। लोक के मध्य