________________ जैन इतिहास की उत्पत्ति एवं विकास प्रहेलिका, समस्यापूर्ति, सुभाषित, सूक्ति, विष्णुगीतिका, चर्चरी गीत एंव प्रगीतों की भी रचना की गयी। दलित एंव पतित समाज का उत्थान तथ समाज के चित्र प्राकृत काव्य,प्राकृत चरितकाव्य और कथाओं में अंकित किये गये हैं। वैदिक राम,कृष्ण,पाण्डव, हनुमान आदि के आख्यानों का प्राकृत-काव्यों में जैनीकरण किया है। अपभ्रंश साहित्य अन्य भाषाओं की तरह अपभ्रंश में भी विद्वानों द्वारा पुराण,चरित एंव कथाओं का निर्माण हुआ है। जैन कवियों ने लोकभाषा को काव्य और साहित्य का माध्यम प्राचीनकाल से ही बनाया है। इसी कारण पुराण-चरित एंव कथाग्रंथों के साथ ही गणित,आयुर्वेद,वास्तुशास्त्र,स्तुतिपूजा,विषयक एंव आध्यात्मिक,सैद्धान्तिक एंव औपदेशिक साहित्य की भी रचना हुयी। अपभ्रंश साहित्य के इन रुपों के अर्न्तगत हमें महाकाव्य, खण्डकाव्य, मुक्तक काव्य एंव रुपक काव्य आदि सभी आधुनिक विधाओं के लक्षण मिलते हैं। अपभ्रंश साहित्य का सर्वप्रथम उल्लेख छठी शताब्दी के भामह ने किया है। भामह अपभ्रंश को काव्योपयोगी भाषा एंव काव्य का एक विशेष रुप मानते हैं:०० ! दण्डी (सांतवी शदी) ने अपभ्रंश को वागंमय के एक भेद के रुप में निर्देशित किया है / जैन साहित्य के अर्न्तगत अपभ्रंश का सबसे पहला कवि चतुर्मुख है। इनका समय आंठवी शताब्दी में माना जाता है। कवि चतुर्मुख ने पद्धड़िया छन्द का आविष्कार किया। यह छन्द अपभ्रंश के अनेक स्तरों को पारकर हिन्दी में इसी नाम से प्रयुक्त हुआ है। कवि चतुर्मुख की तीन कृतियाँ हरिवंशपुराण,पउमचरित एंव पंचमीचरित का उल्लेख मिलता है, किन्तु उपलब्ध एक भी नहीं है। आठवी शदी के विद्वान लेखक उद्योतनसूरि अपभ्रंश को आदर की दृष्टि से देखते एंव उसके साहित्य की प्रशंसा करते थे।०३। चरितकाव्य की दृष्टि से महाकवि स्वयम्भू०४ (737 एंव 840 ई०वी०) का वह कवि है जिसने राम एंव कृष्ण कथा पर पृथक् पृथक् अपभ्रंश में काव्यग्रन्थ लिखे हैं। “पउमचरिय एंव रिट्ठमिचरिउ मात्र पुराण ही नहीं बल्कि महाकाव्यों के अनेक तत्व इन काव्यों में समवेत हैं०५ | पउमचरिय में विद्याधर,अयोध्या,सुन्दर,युद्ध,उत्तर ये पॉच काण्ड हैं। स्वयम्भू ने ग्रंथ के आदि में पॉच महाकाव्य१०६, पिंगल के छन्दशास्त्र, भास के न्यायशास्त्र, भामह एंव दण्डि के अलंकारशास्त्र,इन्द्र के व्याकरण,व्यास,कवि ईशान,बाण के अक्षराडम्बर, श्री हर्ष के निपुणत्व एंव रविषंणाचार्य की रामकथा का . उल्लेख किया है। ___ राम के चरित में कवि ने आदर्शमानव के समस्त गुणों का संयोजन किया है। स्वयम्भू ने अपने इस पुराण में उदपत्त कल्पना को बहुत अधिक स्थान दिया