Book Title: Jain Sahitya ka Samajshastriya Itihas
Author(s): Usha Agarwal
Publisher: Classical Publishing Company
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________________ 224 जैन साहित्य का समाजशास्त्रीय इतिहास 201, 210-11 / 41. ह० पु. १७/३ब, म० पु० 43/265-67 / 42. प०च० 7/70 / 43. पद्म च०७/१५२ / 44. उ० पु० ५४/१८८ब / 45. प०च० 7/70, पद्म च० 7/152, च० म० पु० च० पु० 221 / / 46. प० च० 2/56, आ० पु. 12/165 प० च० 1/14/2 (स्वयंभ्भू) म०पु० भा० 3. 1/6, ह० पु० 8/36 | 47. भ० भा० 3 37/33, रा०भा० 3 ४६/१६ब। 48. म० भा० 1/66, 14/15 | 46. ह० पु० 60/531-37, प०च० ५/६/६छ / 50. म० भा० 1/66, 1/122 / 51. उ० पु० 74/331-37 / 52. म० भा० 1/210, 3/38, 3/125 / 53. त्रि० श० पु० च० भा० 5 पु० 316, 342 / 54. त्रि० श० पु० च० 1/5/578 | .55. त्रि० श० पु० च० भा० 3 पु० 287 / 56. बृहत्स्वयम्भूस्तोत्र पद्य 127, पु० 336 | 57. ह०पु० प्रशस्ति 58. भा० सं० जै०ध० यो०पु० 358 / .. 56. जै०ए०मार्च 1637, पु० 75-76 / 60. प०च०७/२०, 7/27-31, प०च०७/४७ (विमल) 61. बा०रा०२/१६.२४ / 62. म०भा० 3/41, 55, 6/17.46 | 63. म०भा० 5/16-27 / 64. उ०पु० 54/102/110 65. प०च०२/११५, प०च० (रविए) 2/243 / 66. त्रिश०पु०च० 7/7/50, प०च० (स्वयम्भू) 8/5/2-10 / 67. प०च० (स्वंयम्भू) 8/5/6, त्रिश०पु०च० 1/5/560 / 68. त्रिश०पु०च० 4/7/225 ब / 66. म०भा०१/५६, 6/35-45 / 70. त्रिश०पु०च०भा०५ पृ० 343 / 71. वही भा०४ पृ० 54 72. बा०रा०१/२३/१०-१४

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