________________ जैन इतिहास का विषय और विकास 56 निष्कमण संस्कार आगम साहित्य से दीक्षा ग्रहण कर लेने के पश्चात् निष्क्रमण संस्कार किये जाने की जानकारी होती है। निष्क्रमण संस्कार में राजा भी सक्रिय रुप से भाग लेते थें यह अत्यन्त धूमधाम से मनाया जाता था। श्रमण दीक्षा लेने वाले के परिवार . को राज्य द्वारा सहायता प्रदान की जाती थी। मुनि आचार महावीर द्वारा उपदिष्ट पंचयामी मार्ग को अपनाना श्रमणों को अनिवार्य था।३६ नाव द्वारा नदी आदि जलाशय पार करने में अनेक उपसर्गो को सहन करना पड़ता था७ / नाव द्वारा नदी पार करने में उपसर्गो का सामना करने के विधानों का आगम ग्रन्थों में उल्लेख किया गया है। श्रमणों को अराजकता पूर्ण राज्यों एंव विदेशी राजाओं के राज्य में राजकीय कर्मचारियों द्वारा अनेक प्रकार के कष्ट दिये जाते थे। इसी मार्ग में उपाश्रय जन्य, रोगजन्य, दुर्भिक्षजन्य वादविवाद जन्य 3. एंव ब्रह्मचर्य जन्य अनेक कठिनाईयाँ उत्पन्न होती थी। विद्यामन्त्र एंव विधान ___धर्मोपदेश एंव भिक्षु जीवन यापन में आने वाली कठिनाइयों से रक्षा करने के लिए अनेक प्रकार के विधानों का उल्लेख आगमग्रन्थों में किया गया है। उपाश्रय जन्य संकटों से बचने के लिए श्रमणों को अपनी बस्ती की दिन में तीन बार देखभाल करने, खुले स्थानों पर न रहने आदि का आदेश दिया गया है। - रोग-जन्य संकटों में कुशल साधु, शुभ आसन पर बैठे वैद्य चिकित्सा कराने एवं वैद्य के कहने पर उसे उपाश्रय में बुलाने का निर्देश देने के साथ ही शूल उठने, सर्पदंश आदि से पीड़ित होने पर रात्रि के समय औषधि लेने का विधान है।४६ जैन सूत्रों में भिक्षुओं को काम वासना, विलासी जीवन एवं गमनागमन में स्त्रियों के उपसर्ग से दूर रहने के लिए दृष्टान्तों द्वारा उपदेश दिया गया है।४७ ब्रह्मचर्य जीवन में स्त्रियों के उपसर्ग न सह सकने के कारण प्राणत्याग करने का विधान बतलाया गया है।४८ वेश्याओं द्वारा ब्रह्मचर्य नष्ट करने पर जैन ग्रन्थों में, श्रमणों द्वारा से बधिकर राजकुल में ले जाने का आदेश दिया गया है।४६ ___ जैन सूत्रों में प्राप्त उल्लेखों से ज्ञात होता है कि जैन भिक्षु संकटों के समय मंत्र, विद्या, चूर्ण एवं निमित्त आदि का भी प्रयोग करते थे। राजाओं द्वारा आचार्य का अपहरण एवं हत्या के प्रयत्न करने पर भिक्षु के लिये धनुर्वेद का पराक्रम दिखाकर आचार्य की रक्षा करने का विधान है।५१ राजा द्वारा राज्य निष्कासन का आदेश दिये जान पर आकाश विद्या का भी उपयोग करने के उल्लेख प्राप्त होते हैं / 52 दुष्काल