Book Title: Jain Sahitya ka Samajshastriya Itihas
Author(s): Usha Agarwal
Publisher: Classical Publishing Company
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________________ चरितकाव्य . . . 153 200. बं०चं० 22/55-76 201. बं०च० 23/1-47. 63 202. बं०च० 22/27-54. प्र०चं०६/६७, व०चं० 12/48 203. य०च०उ०ख०७/४६. त्रिश०पु०च० 1/3/628, बं०चं० 15/111 204. बं०चं० 11/41-51, प्र०चं० 6/67. वं०च० 11/44 / 205. प्र०च० 6/72-77, व०च०३/१२. ध०म० तृतीय सर्ग 206. व०चं० 12/50, त्रिश०पु०च० 1/1/186, 1/3/620-27 207. त्रिश०पु०च० 1/3/620 208. * जी०च०७/१४-१६ / य०च०उ०ख 7/2-27 206. व०चं० 15/52 210. वही 12/46 211. बं०व०२२/२६, यं०च०उ०ख 7/53-64. बं०च 15/112 212. जी०चं० 6/12 213. य०च०उ०ख०४/ पृ० 55 214. वही 4/57 215. बं०च० 22/26, य०च०७/१०७-३५ / 4/56 216. य०च०उ०ख 7/65-106 217. य०च०उ०ख 7/136-62 218. य०च०उ०ख 7/163-76/ जी०च० 1/36 216. जी०च०७/१६, त्रिश०पु०च०१/१/१६०, य०च०पू०ख 2/176 220. बं०च० 15/117-120 221. य०च०उ०ख 7/181-86 222. त्रिश०पु०च 1/3/628-35 223. यश्च०उ०ख०८/१, जी०च०७/१८, बं०चं० 22/30, त्रिश०पु०च० 1/1/261 1/3/635-43 224. बं०चं० 15/122, व०चं० 12/62 225. बं०च०१५/१२३, य०च०८/२६३-३०१ 226. वही 15/124, य०च० 8/302-7 227. बं०च० 15/124 228. य०च० उ०ख० 8/308-314 226. य०च०उ०ख० 8/315-318 230. वही 8/334 231. य०च०पू०ख 4/64, 8/454

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