Book Title: Jain Sahitya ka Samajshastriya Itihas
Author(s): Usha Agarwal
Publisher: Classical Publishing Company
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________________ 158 - जैन साहित्य का समाजशास्त्रीय इतिहास 356. वंच० 4/42-104, व०च० 3/33. य०च०६/११४ 357. व०च० 15/63. प्र०च०५/३१, 6/33, य०च० 6/117 358. व०च० 15/63-67, प्र०च०६/३३-४३, य०चं० 6/118-16 356. भारतीय संस्कृति में जैन धर्म का योगदान पृ० 225 360. व०च० 11/27, बं०च०४/१०६-११३ 361. बं०च० 4/84-85 362. व०च०१५/७०-७१, य०च० 6/115 363. बं०च०४/४२–१०४, व०च०१५/७२ 364. भारतीय संस्कृति में जैनधर्म का योगदान पृ० 235 365. व०च०१५/७४-७५, बं०च० 4/36-41 366. व०च० 15/72 367. वही 15/72 . 368. वही 15/21-24 366. व०च० 15/25-34, 41-44 370. वही 15/81 371. वही 15/82, 83 372. व०च० 15/166 373. त०सु० 1,6 374. बं०च० 26/45-47 375. बं०च० 26/48, स्था०सू० 7, भ०सं०जैन्यौ० पृ० 246 376. बं०च० 26/50 377. बं०च० 26/51 378. लघीस्त्रय 3:6, 70-71 नयकर्णिका त०रा०वा०१/३३-३५ 376. भ०सू० 18, 36, समयसार - गाथा 27, 28 380. बं०च०२६/५२, भा०सं० जैव्यौ० पृ० 253 381. स्वयम्भूस्त्रोत श्लोक 68 तत्वार्थश्लोक वार्तिक पृ० 137, जैनन्याय 322 3682. बं०च० 26/76-60, प्र०चं० 5/28

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