________________ 210 जैन साहित्य का समाजशास्त्रीय इतिहास रेवती या षष्ठी जैन पुराणों में इनका सम्बन्ध शिशुजगत से मान्य किया गया है। मूर्तियों में गोदी में एक पालना एंव उसमें शिशु को दिखाया गया है जिसकी मुखाकृति बकरे के समान है। लोकपाल इन देवी देवताओं के अतिरिक्त जैन पुराणों में वैदिक पुराणो के लोकपालों को भी अपने साहित्य में स्थान दिया गया है। कुछ इतिहास लेखकों ने चार लोकपालों एंव कुछ लेखकों ने परवर्ती पौराणिक परम्परा. के आधार पर आठ लोकपालों का उल्लेख किया है। हिन्दू धर्म में भी रामायण एंव महाभारत में लोकपालों की संख्या चार दी गयी है। महाभारत में एक स्थान पर इन्द्र एंव अग्नि को लोकपालों के समूह से बाहर माना हैं३ / गुणभद्र ने पौराणिक परम्परा के आधार पर आठ लोकपालों का उल्लेख किया है / हिन्दू पुराणों में वर्णित इन देवताओं के वाहनों का भी उल्लेख जैनपुराणकारों द्वारा किया गया है। इन्द्र के वाहन ऐरावत हाथी एंव शंकर के बैल का उल्लेख प्राप्त होता है जिसके कारण उन्हें ईशान एंव बैल की सवारी करने वाला कहा गया है | चन्द्र ब्राह्मण ग्रन्थों की भॉति ही जैन पुराणों में चन्द्र की उत्पत्ति का उल्लेख किया गया है। चन्द्रमा की उत्पत्ति समुद्र से मानी गयी है | महाभारत से दक्ष की 27 कन्याएं चन्द्रमा को देने के उल्लेख प्राप्त होते है | चन्द्र को दक्ष की पुत्रियों का पति एंव दाक्षायणी पति कहा गया है। अप्सरा एंव गन्धर्व रामायण एंव महाभारत में प्राप्त काम एंव रति उर्वशी, रम्भा, तिलोत्तमा, अलम्बुसा, मेनका, आदि सभी प्रमुख अप्सराओ५ को जैन इतिहास लेखकों द्वारा अपने साहित्य में स्थान दिया गया। इनको जैन इतिहासज्ञों ने हिन्दू पौराणिक ग्रन्थो की अपेक्षा अधिक उच्च स्थान दिया है वे जिनभक्त थीं एवं जैनदीक्षा धारण करती थी। हिन्दू पौराणिक साहित्य में उल्लिखित विश्ववसु, तुम्बुरु एंव नारद, दहाँ, हुहा आदि प्रसिद्ध गन्धर्वो को जैन लेखकों द्वारा तीर्थकंरों के निर्वाणोत्सव पर नृत्य करते हुए दिखाया गया है। त्रिशष्ठिशलाका पुरुष चरित में प्रथम तीर्थकंर के विवाहोत्सव पर उपस्थित रम्भा, उर्वशी, धृताक, मंजूघोष, सुगन्धा, तिलोत्तमा, मेनका,