________________ 208 जैन साहित्य का समाजशास्त्रीय इतिहास का समावेश जैन देवता समूह में किया गया। जैन पुराणों में हिन्दू ग्रन्थों में वर्णित देवी देवताओं का उल्लेख किया गया है। इनमें प्रमुख रुप से ब्रह्मा, विष्णु, लक्ष्मी, शिव, चन्द्र, काम, रति, अप्सरा, नारद, बृहस्पति, अश्विनी, आदित्य, गणेश, किन्नर, राहु आदि का वर्णन प्राप्त होता है। ब्रह्मा ___ब्रह्मा को उत्पत्ति विषयक सिद्धान्त में जगत का नियामक माना गया है। ब्रह्मा द्वारा आठ दिशाओं में इच्छानुसार लोकपाल नियुक्त करने की जानकारी मिलती है | जैन पुराणों द्वारा ऋषभ के पिता नाभि को सम्पूर्ण सृष्टि के निर्माता रुप कर्तार, विधाता, लोक पितामह, अजा, अजन्मा, अयोनिज, स्वयम्भू५ एंव आत्मभू कहा गया है। विष्णु जैन इतिहास लेखकों ने 6 वासुदेवों के अतिरिक्त ब्राह्मण धर्म के “विष्णु को भी अपने साहित्य में स्थान दिया है। जैन पुराणों में विष्णु के "नृसिंह"३७ एवं “वामन"३८ अवतार का उल्लेख किया गया है। विष्णु देवी लक्ष्मी के पति रुप में अनेक नामों से कहे गये हैं। राम एंव रमापति शब्द का प्रयोग जैन पुराण कारों ने एक साथ किया हैं एंव उनके आर्शीवाद प्राप्ति के लिए इच्छा व्यक्त की है। हिन्दू धार्मिक ग्रन्थों में विष्णु के सहस्त्र नाम पाये जाते हैं। जैनाचायों ने विष्णु के सहस्त्र नामों का प्रयोग निज के लिए किया है / लक्ष्मी ब्राह्मण हिन्दू पुराणों की भॉति ही लक्ष्मी को समुद्र की पुत्री बतलाया गया है। जैन पुराणों में लक्ष्मी के श्री, पद्म, कमला, आदि नाम प्राप्त होते हैं। गुणभद्र ने लक्ष्मी को चन्द्रमा की बहिन बतलाया है | सौन्दर्य एंव सम्पत्ति की प्रतीक लक्ष्मी के कमलासन के परम्परात्मक विश्वासों को जैन पुराणकारों द्वारा स्वीकृत किया गया है५ | तीर्थकंरों की माता के पुत्र जन्म पर हीं, श्री कीर्ति के साथ लक्ष्मी के आने के उल्लेख प्राप्त होते हैं / वैदिक पुराणों में लक्ष्मी एंव इन देवियों का वर्णन उमा एंव. सरस्वती के साथ किया गया है / धृति एंव बुद्धि को धर्म की आठ पत्नियों में स्थान दिया गया है। शिवा महाभारत में प्राप्त ग्यारह रुदों के वर्णन को जैन पुराणकारों द्वारा अपनाया