Book Title: Jain Sahitya ka Samajshastriya Itihas
Author(s): Usha Agarwal
Publisher: Classical Publishing Company

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Page 175
________________ चरितकाव्य 157 325. व०च०११/३६-४०, 16/12, 18 प्र०चं० 6/27-26. त्रिश०पु०च० 1/3/651-53 326. व०च०११/२४-५०, 16/13. बं०च०१२/५८-७०, च०च०सर्ग 327. व०च०११/४३ 328. प्र०च०६/५१, व०च०१०/४६, बं०च० 3/44 326. बं०च० 26/2 330. वही 26/3. जैन्ध०पृ० 81 331. वही 26/5-6 332. य०च०४/५८, गो० जी० 126 333. तीर्थकर महावीर एंव उनकी आचार्य परम्परा पृ० 364 334. वही पृ० 345, पु०सं० गाथा 106 335. जै०ध०पृ० 226, बं०च० 26/6-13 336. त्रिश०पु०च० 1/1!158-60 337. बं०च०६/३-७. त्रिशपु०च 1/1/160-61 338. अर्हत प्रवचन पृ 13-15 336. बं०च०७/५६-६६, 6/73-78, 6/54-56, 5/43-54 340. त्रिश०पु०च 1/1/570-78 341. बं०च० 5/6 342. वही 5/10-16, 33-101, 26-27. व०च० 11/7-22, त्रि०श०पु०च० 1/1/424, 561-66 343. त्रिश०पु०च० 1/1/583 344. वही 1/1/570-82 345. व०च० 15/15 346. जै०ध०पृ० 65 347. वं०च०२६/१५-२२, व०च० 15/18-16, पंचास्तिकाय 77, 81 348. जै०ध० पृ० 68 द्रव्य संग्रह - 17 346. व०च० 15/20 350. व०च० 15/17, बं०च 26/23-24 351. जै०ध०पृ० 101, पंचास्तिकाय 83, 85, व०च० 15/86 352. बं०च०२६/३१-३२, व०च० 15/16-17, पंचास्तिकाय 61 353. व०च० 15/17 354. बं०च० 26/30 355. वही 26/33-44

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