Book Title: Jain Sahitya ka Samajshastriya Itihas
Author(s): Usha Agarwal
Publisher: Classical Publishing Company

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Page 173
________________ . . . चरितकाव्य चरित 155 264. व०च० 15/103 265. वही 15/014-125 266. बं०च० 31/71, व०च०११/४५, 14/12, य०च० 4/50 267. य०च०४पृ५८, 8/465-66, ने०च०श्लोक 13 268. बं०च०३१/७२, व०च०१५/१३२ 266. व०च०१५/१३२-३७, त्रिश०पु०च० 1/1/168 270. व०च०१५/१३८-४१, त्रिश०कु०च० 1/1/166 271. व०च०१२/६३-६६ 272. बं०च० 31/66, य०च०८/१६०-८६ 273. व०च०१५/१४३-५३ 274. य०च०८/१८३-६३ 275. य०च०८/१६४-२०१ 276. व०च०१५/१५३-६२, य०च० 8/202-3, भारतीय संस्कृति में जैन धर्म का योगदान पृ० 273 277. बं०च० 31/100-8, व०च० 15/115 278. ने०चश्लोक 2 276. ब०च० 8/275 280. बं०च०१०/२-६, 56, व०च०१५/१८६, य०च० 8/204 भारतीय संस्कृति में जैनधर्म का योगदान पृ० 240 281. बं०च० 10/11-28 282. व०च० 15/168-86, प्र०सं०गााथा 28-26 283. य०च०६/११७ 284. वही 6/246 285. बं०च०२६/६२, विश०पु०च० 1/3/243. य०च०६/११७, व०च० 2/16, 15/3. प्र०च० 6/44 286. व०च०११/४५, 12/53 287. म०स्मृति 2/1 288. व०च०१०/६० 286. य०च०४/७५. प्र०च० 6/45-46, त्रिश०पु०च 1/3/585 260. वही 6/237, व०च० 10/45, 16/3 261. प्र०च०६/४५, 47. त्रिश०पु०च 1/3/578-84 262. बं०च०२६/१०० 263. प्र०च०६/२७. व०च०३/५४, त्रिश०पु०च० 1/1/526-27

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