________________ चरितकाव्य 117 के लिए कुशल व्यक्ति, नियुक्त करते थे३ | राज्याभिषेक के समय युवराज को धर्म, अर्थ, काम के यथासमय पालन करने एंव मोक्ष की साधना करने के उपदेश देने की जानकारी होती है | ज्ञान, कर्म एंव शील द्वारा प्रजा का कल्याण करना, प्रमाद से दूर रहकर नीति एंव पराक्रम को धारण करना उसका परम कर्तव्य माना जाता था५ | धनुषविद्या में निष्णात होना आवश्यक था। राजशास्त्रीय मर्यादाओं का अंकुश होने के कारण युवराजों का निर्धारित आदर्शों की अवहेलना करना असम्भव था। राज्याभिषेक राज्यपद ग्रहण करने से पूर्व उत्तराधिकारी का राज्याभिषेक होना आवश्यक था | राज्याभिषेक के समय सभी वर्गों के व्यक्ति ज्योतिषी एंव राजकीय कर्मचारी - अमात्य सेनापति, मंत्रिवर्ग, श्रेष्ठि, पुरवासी आदि एकत्रित रहते थे। पवित्र 18 तीर्थो के सुगन्धित शीतल जल से श्रेष्ठिगण द्वारा पादाभिषेक करने एंव तदुपरान्त सामन्त, राजा, अमात्य आदि द्वारा जल से पूर्ण रत्नजटित कुम्भ से मूर्धाभिषेक करने की जानकारी होती है" | राज्याभिषेक के पश्चात् राजा युवराजपट्ठ बॉधता था / इस अवसर पर विभिन्न देशों के राजा भेंट लेकर आते थे एंव सम्पूर्ण राज्य में सजावट की जाती थी। - राज्याभिषेक के लिए अभिषेक मण्डप का निर्माण होता एंव मृदंग शंख झल्लरी आदि वाद्य यंत्रों द्वारा जयधोष होने के उल्लेख प्राप्त होते हैं। इसी समय घोष युवराज धर्मोपदेश ग्रहण करते थे। मंत्रिपरिषद __ प्रशासकीय कार्यो में मंत्री पुरोहित एंव सेनापति आदि अट्ठारह प्रकार की प्रकृतियों द्वारा सहायता एंव ऐश्वर्य प्राप्त करने के उल्लेख प्राप्त होते हैं | चरितकाव्यों से मंत्रिपरिषद होने की जानकारी होती है। अमात्य, सचिव, महत्तर, पुरोहित, एंव दण्डनायक को मंत्रिमंडल में सम्मिलित करने के उल्लेख प्राप्त होते है४३ जबकि चन्द्रप्रभचरित में मंत्री, पुरोहित, सेनापति, दुर्गाधिकारी, कोषाध्यक्ष एंव ज्योतिषी को मंत्रीमंडल में शामिल किया है | राज्य का प्रधानमंत्री अमात्य होता था। चरितकाव्यों में अमात्य के गुणों में राजकीय कार्यो के चिन्तन करने, चतुरगिंणी सेना की व्यवस्था करने एंव युद्ध, आक्रमण, भूमिकर एंव दण्ड के सम्बन्ध में राजा के साथ विचार विमर्श करने के उल्लेख प्राप्त होते हैं४६ | मंत्रियों को राज्य के स्तम्भ माना गया है। अपने विचारों का निर्णय परस्पर सलाह के आधार पर करते एंव राजकीय नीतियों, कार्यों एंव अकार्यो से राजा को अवगत कराते थे। मंत्री नीति के पारगामी होते थे एंव राजद्रोहों को रोकने का प्रयत्न करते थे।