________________ 140 जैन साहित्य का समाजशास्त्रीय इतिहास को नष्ट करने वाले एंव कल्याणकारी होते थ२५ / सिंह को उसके पूर्वभवों से अवगत कराकर जैनधर्म के सिद्धान्तों के उपदेश करने एंव पशुओं द्वारा मानव के प्रति किये गये उपकारों के वर्णन जैन धर्म की प्राणीमात्र के प्रति उदारवादी भावनाओं को व्यक्त करते हैं३२६ / पंच परमेष्ठी नमस्कार मंत्र में अरिहन्त को प्रथम स्थान दिया गया है। इसे अनुपम सुख प्रदान करने वाला एंव संसार से पार करने वाला बतलाया गया है३२७ / सांसारिक क्षणभंगुरता एंव काया कलेशों का उल्लेख करके स्वधर्म पालन करने के उपदेश दिये गये हैं३२८ | द्रव्य व्यवस्था जैन दर्शन में द्रव्य व्यवस्था के द्वारा ही विश्व के समस्त सत्तात्मक पदार्थों का निर्माण माना जाता है / मुख्यतः जीव एंव अजीव दो प्रकार के द्रव्य माने गये हैं३२६ | बंराग चरित में द्रव्य के चार प्रकार माने गये हैं३० | चरितकाव्यों से ज्ञात होता है कि जैन दर्शन में जीव एक तत्व है जो छ: प्रकार का है वह प्रति समय उत्पाद, व्यय एंव धोव्य स्वरुप है अतएव जीव द्रव्यं दृष्टि से नित्य एंव पर्याय दृष्टि से अनित्य है। जीव के मुख्य लक्षण उपयोग के दो भेद हैं - दर्शन एंव ज्ञान / अपनी सत्ता को अनुभव करने की शक्ति का नाम दर्शन एंव बाह्य पदार्थो को जानने, समझने की शक्ति का नाम ज्ञान है३१ / व्यावहारिक दृष्टि से पंचेन्द्रियों, मन, वचन, काय रुप तीन बलों एंव श्वासोच्छवास आयु एंव चैतन्य इन दस प्राण रुप लक्षणों की सत्ता के द्वारा जीव की पहचान सम्भव है३३२ | जीव के भेद मूलतः जीव का मौलिक स्वरुप एक समान होने पर भी कर्मो के अनुसार जीवों के दो भेद हैं३३३ - संसारी एंव मुक्त / कर्मवन्धन से बद्ध, पुर्नजन्ममरण को प्राप्त करने वाले संसारी३३४ एंव कर्मबन्धनों से मुक्त वीतरागी मुक्त जीव कहलाते हैं-३५ | इन्द्रिय अपेक्षा से स्थावर एंव त्रस दो भेद हैं। एकेन्द्रिय जीवों को स्थावर कहा गया है। पृथ्वी कायिक जलकायिक, तेजसकायिक, वायुकायिक एंव वनस्पतिकायिक भेद से यह पॉच प्रकार के हैं३३६ | त्रस जीवों के चार प्रकार हैं - द्विइन्द्रिय, त्रिइन्द्रिय चतुरिन्द्रिय एंव पंचेन्द्रिय३७ / विकास दृष्टि से जीव के क्रमशः बहिरात्मा एंव अन्तरात्मा एंव परमात्मा तीन प्रकार हैं३८ / चतुर्गति चरितकाव्यों से ज्ञात होता है कि गति की अपेक्षा जीव के चार भेद हैं३६१ मनुष्य, 2 देव, 3 तिर्यंच, 4 नरक / चरितकाव्यों में जीव को अनादि एंव कर्मो के अनुसार