________________ पुराण . 71 गये हैं। प्रत्येक कुलाचल पर विभिन्न संख्याओं में कूटों की स्थिति बतलायी गयी हैं। भरतक्षेत्र में हिमवान कुलाचल है जिसके पूर्व से पश्चिम दिशा में ग्यारह कूट सुशोभित हैं / हेमवत क्षेत्र के आगे महाहिमवान् कुलाचल है जिसका वर्ण सफेद है। इसके शिखर पर 8 कूटों की स्थिति बतलायी गयी है | हरिवर्ष क्षेत्र के आगे निषध कुलाचल है जिसका वर्ण स्वर्णमय है इस पर 6 कूट स्थित हैं / विदेह क्षेत्र से आगे वैदूर्यमणि कुलाचल है। इसके शिखर पर 6 कूट हैं।१ / रम्यक क्षेत्र से आगे रजत की भॉति वर्णवाला स्वामी कुलाचल है जिसके शिखर पर आठ कूट है। ये कूट ऊँचाई, मूल, मध्य एंव अग्रभाग के आकार में महाहिमवान् पर्वत के समान है२ | शिखरी कुलाचल की स्थिति हेरण्यवत क्षेत्र एंव ऐरावत क्षेत्र के बीच में बतलायी गयी है। सुवर्णमय इस पर्वत पर हिमवत् पर्वत के कूटों की भांति ग्यारह कूट हैं३ / हरिवंश पुराण में पर्वतों एंव क्षेत्रों का विस्तार दिया गया है। पर्वत योजन हिमवत् पर्वत / महाहिमवत् पर्वत 4210 10 योजन 6 क्षेत्र . 1. भरतक्षेत्र 2. हेमवत क्षेत्र 3. हरिक्षेत्र 4. विदेह क्षेत्र 5. रम्यक क्षेत्र योजन 5266 योजन 2105 84211 336844... 8421 3. हरिक्षेत्र . 8421 निषध पर्वत 168 * | #Tv || 23 : नील पर्वत रूषमी पर्वत 4210 6. हेरण्यवत क्षेत्र 2105 7. शिखरी पर्वत 8. ऐरावत क्षेत्र 526 // हिन्दू पुराणों में कुलाचलों की संख्या सात बतलायी गयी है जो जैन पुराणों की मान्यता से भिन्न है५| नदी एंव सरोवर -- जम्बूद्वीप के सात क्षेत्रों के बीच स्थित छह कुलाचलों के मध्यभाग में पूर्व से पश्चिम छह विशाल सरोवरों की स्थिति बतलायी गयी है। उनके नाम इस प्रकार