Book Title: Jain Sahitya ka Samajshastriya Itihas
Author(s): Usha Agarwal
Publisher: Classical Publishing Company

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Page 129
________________ कथा साहित्य 111 गति 8. सी० 2 पृ० 148-6, कुवलय माला 266 पृ० 188-61, म०भा०शा०प० 178 6. उपदेश पद, गाथा 8, पृ० 20 भाग 2, गाथा 551, पृ० 272. वृ०क०को० पृ० 35-40 10. आ०नि० 833 11. कुवलयमाला पृ० 45-80 12. क०को०प्र०गाथा 10-25 / कुवलयमाला 230 पृ० 140 / जै०रा०पृ० 442 आ०क०को०भा०२ पृ० 1 13. बृ०क०को० भा०१ पृ० 42 14. आ०क०को०भ०३, पृ० 137, वृ०क०को०भा०२, पृ० 243 15. विक०सं० कथा 26.30, आ०क०को०भा०२पृ०११, जै०रा०पु० 256 16. कुवलयमाला 166 पृ० 78 17. आoपु० 1/46. वृक०को० पृ०७५, आ०क०को०भा०३, पृ० 176-177, आ०क०को० भा०२ पृ० 17 18. कु०पा०प्र० परिशिष्ट पर्व 3, 16, 75, 215 / व०हि० पृ० 6-10 16. बृह०क०को० कथा नं० 35, 44, 62, 53, 148 20. बृहक०को०कथा नं० 13, 33, 56, 57, 63, 115, 134, 136/ 21. प्रा०सा०इतिहास पृ० 431-436 22. आ०क०को०भा०२ पृ० 164 23. आ०क०को०भा०२ पृ० 36-40 24. आ०क०को०भा०२ पृ० 3. 56 25. आ०क०को०भा०२ पृ०५५-५७ 26. आराधना कथा कोश भाग 1, पृ० 8, 35, 107, 146, 154 27. आराधना कथा कोश भाग 1 पृ० 143 28. "आदिपुराण में प्रतिपादित भारत" पृ० 147-148 26. बृ०प०सं० 5/3 30. आ०क०को० भा०२ पृ० 35, 135, “दो हजार वर्ष पुरानी कहानियाँ' पृ० 31, 66 31. प०क०को० पृ० 377 32. आ०क०को०भा०२, मृगसेन धीवर की कथा 33. आ० पु० पं०भा० 160-161, अर्थशास्त्र 3/2, 56/53, साध० 2/56-60 ..... 34. प०क०को० पृ० 37, 67, आ०क०को०भा०१ पृ० 121 35. आ०क०को०भा०२ पृ० 46 36. जैन धर्म की उदारता पृ० 68, पु०क०को० पृ० 126

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